रक्षा बंधन – सारांश
रक्षा बंधन – सारांश
रक्षा बंधन, जो श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है, केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि सुरक्षा, पवित्रता, अनुशासन और भाईचारे का प्रतीक है। इसकी जड़ें सामाजिक, ऐतिहासिक, आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों में हैं।
• श्रावणी उपाकर्म में पाप त्याग का संकल्प, पूर्वजों का स्मरण, विश्वकल्याण का प्रण, यज्ञोपवीत प्रदान और बच्चों की शिक्षा का आरंभ शामिल है।
• पौराणिक दृष्टि से, राखी बांधने से अशुभ दूर होता और नैतिक दृढ़ता आती है।
• ऐतिहासिक रूप से, यह महिलाओं की गरिमा की रक्षा का प्रतीक बनी, जैसे रानी पद्मिनी-हुमायूँ की कथा।
• यह धर्म, सत्य, दया और क्षमा के गुणों की याद दिलाता है और पवित्रता की रक्षा का प्रण कराता है — न केवल अपनी बहन, बल्कि समाज की सभी बहनों के लिए।
• आध्यात्मिक रूप से, यह परमात्मा के साथ प्रेम और आत्मिक भाईचारे का सूत्र जोड़ता है।
आज के समय में, जब नारी असुरक्षित है और समाज स्वार्थी हो गया है, यह पर्व हमें याद दिलाता है कि सच्ची रक्षा बंधन की भावना है — स्वयं को और समाज को बुराइयों से बचाना, सभी को आत्मा मानकर भाई-बहन का भाव रखना और सद्गुणों के साथ जीवन जीना।
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